बस्तर की पत्रकारिता का सच : इधर कुंआ उधर खाई जहां बन्दूक की नोक पर है पत्रकारिता की आजादी
Last Updated on September 19, 2023 by svwebwork
बस्तर की पत्रकारिता का सच : इधर कुंआ उधर खाई
Watch this special report from Bhumkal Samachar on the perils of reporting in Bastar.
(with permission from Bhumkal Samachar)
[youtube https://www.youtube.com/watch?v=e-x5IzHAuCc&w=560&h=315]
आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है , इस दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है और साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता को भी दोहराता है। आज विश्व भर में पत्रकारों को बधाई मिल रहा है ।
आईये आप आज के इस दिन के महत्व में बस्तर की पत्रकारिता को समझे । यहां माओवादियों ने पत्रकार साथियों सांईरेड्डी और नेमी चंद को मार डाला है , बीते विधान सभा चुनाव के दौरान दूरदर्शन के पत्रकार की मौत हुई । सैकड़ों बार पत्रकारों को पुलिस कैम्पो में या माओवादी दलों द्वारा रोककर प्रताड़ित किया जाते रहा है । पत्रकार प्रभात सिंह , संतोष यादव और सोमारू नाग को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा , अभी भी कई पत्रकारों के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज है । आज के खास मौके पर आईये हम बीजापुर बस्तर के जीवट पत्रकार साथी युकेश चंद्राकर की आप बीती से बस्तर की पत्रकारिता के खतरों को समझने की कोशिश करें ।
Read full report here
Censorship
“Censorship” tracks incidents where the government or authorities engage in suppression and prohibition of speech, action, writing, and so on, under various pretexts, including “harmful material” “threat to society”. We track censorship in the following areas: Academia, the Arts (including cinema, music, stand-up comedy, theatre etc), News Media/Documentaries, Protests/Meetings, Publications, Self-Censorship, and Social Media.